जब संदेशे नही चिठ्ठी आती थी ....
कल आई एक चिठ्ठी मेरे नाम॥ हाथ में लेते हुए रोमांच से भर गयी ॥ आँखों को यकीन नही, पर सच था ।चिठ्ठी थी सरकारी पर खुशी ईतनी के लगा जैसे प्रेमपत्र हो क्योकि अब तो सरकार भी ई० हो गयी है॥ क्या आपने कभी अंतरदेसी ,लिफाफा या फ़िर पोस्टकार्ड लिखा है ?? कितना कुछ लिखते थे हम।घर के लोगो के sअथ पडोसियों का हाल भी। घर की गाय से लेकर रिश्तेदारों का भी हाल bhejate थे हम। अब किसे वक्त है और किसे इतनी फुर्सत की बैठ के लिखे कुछ लाइन पाती पे । अब तो मिल जायेगे फ्री mesage हर मूड के फ़िर क्यो दे अपने हाथो को इतनी तकलीफ और दिमाग पे डाले जोर .हम जी रहे है आई० tee युग में। लेकिन एक संदेह है मन में के क्या वही sउकून मिलता है ईमेल करने के बाद क्या हम लिख पाते है सबकुछ मोबाइल के mएसजे में॥ जवाब मिले तो लिखियेगा जरूर॥