कभी सोचती हूँ की क्या हमारे देश को आजादी हमी लोगों ने दिलवाई,, या फिर उसके लिए किसी देवता ने अवतार लिया था ,,, क्योकि हमारे खून में सच के लिए लड़ने का वो जज्बा कहा से आ गया वो विरोध करने के लिए रगों में गर्मी कहा से आ गयी?? निश्चित तौर पैर हम या तो उन पुरखों की संतान नहीं या फिर वो पुरखे हमारे नहीं थे. कैसे यकीन करेगी हमारी आने वाली पीढ़ी आजादी की लड्याई के किस्सों जज्बातों पर. अब तो हमें निर्दोष लोगों के मरे जाने का कोई गम नहीं होता. ख़ुशी इस बात की होती है की हम बच गए.. . किसी मासूम लड़की की इज्जत तार तार किये जाने पर शर्मिंदगी नहीं होती बल्कि उसके फ़शिओनब्ले कपडे की कैफियत देते हैं. लड़ते रहे अन्ना हजारे हमअरे अधिकारों के लिए वक़्त आने पर हम तो अपनी जाती वाले को ही वोट करेंगे.. अरे भाड़ में जाये सोसाइटी और देश मुझे अपने इन्क्रीमेंट और फॅमिली से मतलब है,, क्यों बेकार में देश के बारे में समाज के बारे में सोंचे इतना दिमाग खर्च करके तो अपन एक नया सॉफ्टवेर अप्प्लिकतिओन तयार कर लेंगे ,,, जलता रहे समाज और डूबता रहे देश मुझे क्या मेरा तो इस साल का पैकज १२ लाख का फिय्नल है बस कोक में चूहे मारने की दवा हिसाब से मिलकर इस बार सुन्नी लियों से बिकवाना है राजी तो वो पहले से ही है... हा बस एक बात और फिय्नल करनी है की वो हमरे बिज़नस को बढ़ाये हमारा कोक पीने के बाद तो उसकी सीडी खुद ही दौबले रेट पे बिकेगी..
यकीन करे या न करे लेकिन हम भारतीय तो अब नहीं रहे और क्या है मालूम नहीं क्या बन जांएगे कुछ अंदाजा नहीं.... मुझ पर यकीन न हो तो ये सवाल खुद से पूछ के देख लो दोस्त !!!!!!!!!
यकीन करे या न करे लेकिन हम भारतीय तो अब नहीं रहे और क्या है मालूम नहीं क्या बन जांएगे कुछ अंदाजा नहीं.... मुझ पर यकीन न हो तो ये सवाल खुद से पूछ के देख लो दोस्त !!!!!!!!!
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